शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

दरअसल

दरअसल उजाला ओढ़ने को
हम इस कदर उतावले हैं
कि धूप के इरादों की नेकनीयती पर
शुब्हा कर ही नहीं पाते
हर बार चमाचम सूरज की चाह में
हम ग़लत मौसम चुनते हैं
और मार खाते हैं

वे हमारी कमजोरी से वाकिफ़ हैं
और चौगिर्द फैले अँधेरे के खिलाफ़
हमें हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं

उन्हें मालूम है
घुप्प अँधेरी रात में
मशाल दिखा कर ही
पतंगे को बरगलाया जा सकता है
मर मिटने को
दीवाना बनाया जा सकता है

2 टिप्‍पणियां:

  1. उन्हें मालूम है
    घुप्प अँधेरी रात में
    मशाल दिखा कर ही
    पतंगे को बरगलाया जा सकता है
    --------
    उन्हें रोशनी की जरूरत होगी
    हमें मशाल बनाने की तैयारी है.

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  2. Banna sa,
    Ghani choki, pan kadai aapni mayadbhasa per
    ki tho upkaar karo.
    Rajput hi Dingal(Rajasthani) n bisargiya tho
    Dingal tho paaga ma rulsee.

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