रविवार, 15 नवंबर 2009

स्मृति और स्वप्न

पिता अपनी तमाम असफलताओं को 
बदल लेना चाहते हैं सफलताओं में
अपने पुत्र में

पिता के स्वप्न को ढोता पुत्र
पिता की स्मृति भी तो है
नहीं जानते पिता पितृत्व से ग्रस्त

पिता के स्वप्न को ढोता पुत्र
एक दिन लौट आता है
पिता की स्मृति में पिता बन कर

पिता बन कर लौटा पुत्र अचानक जीने लगेगा
एक दिन अपने पुत्र की स्मृति में
पिता का स्वप्न बन कर

होते हुए होना

जड़ें ठीक से बताती हैं 
होने के बारे में

मूल की महिमा को
छिपाये रहते हैं वृक्ष

दिखने से दूर
होते हुए होना