पिता अपनी तमाम असफलताओं को
बदल लेना चाहते हैं सफलताओं में
अपने पुत्र में
पिता के स्वप्न को ढोता पुत्र
पिता की स्मृति भी तो है
नहीं जानते पिता पितृत्व से ग्रस्त
पिता के स्वप्न को ढोता पुत्र
एक दिन लौट आता है
पिता की स्मृति में पिता बन कर
पिता बन कर लौटा पुत्र अचानक जीने लगेगा
एक दिन अपने पुत्र की स्मृति में
पिता का स्वप्न बन कर