सवाई सिंह शेखावत
गुरुवार, 30 अप्रैल 2009
अभिलाषा
‘जन का, जन के द्वारा,
और जन के लिए’
चमकता है संसद की दीवार पे लिखा
लिंकन का प्रसिद्ध सूत्रवाक्य
गण और तंत्र की गरिमा से दीप्त
मेरी अभिलाषा है
इसका मर्म बिंधे मेरे राष्ट्र के प्राणों में
गणतंत्र की गुनगुनी धूप में
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