किसी व्यक्ति को दूसरों द्वारा पसंद और नापसंद किये जाने के दो तरह के कारण होते हैं एक तरह के पीछे वह व्यक्ति खुद है और दूसरी तरह के कारणों के पीछे वह, जो उस पर राय बना रहा है। और ये दोनों ही ऐसे कारण नहीं है जो संतुलन के लिये आवश्यक हों या इनके जरिये आवश्यक रूप से संतुलन पैदा भी हो, कतई जरूरी नहीं है।
और वह कोशिश, जो इसलिये की जाये कि सभी मुझे पसंद करें, लुच्चापन कैसे हो सकती है? यदि इसके पीछे अपनी गलतियों को सुधारने की चेष्टा हो। हाँ अपने आपको सुधारे बिना केवल ताकत और कपट के जरिये ही यह कोशिश की जाये तो यह लुच्चेपन से ज्यादा अपराध है। आशा है मुंहजोरी के लिये माफ़ कर देंगे।
बिलकुल सही और सुन्दर अभिव्यक्ति है अलग से । शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंSir,
जवाब देंहटाएंप्रणाम।
किसी व्यक्ति को दूसरों द्वारा पसंद और नापसंद किये जाने के दो तरह के कारण होते हैं एक तरह के पीछे वह व्यक्ति खुद है और दूसरी तरह के कारणों के पीछे वह, जो उस पर राय बना रहा है। और ये दोनों ही ऐसे कारण नहीं है जो संतुलन के लिये आवश्यक हों या इनके जरिये आवश्यक रूप से संतुलन पैदा भी हो, कतई जरूरी नहीं है।
और वह कोशिश, जो इसलिये की जाये कि सभी मुझे पसंद करें, लुच्चापन कैसे हो सकती है? यदि इसके पीछे अपनी गलतियों को सुधारने की चेष्टा हो। हाँ अपने आपको सुधारे बिना केवल ताकत और कपट के जरिये ही यह कोशिश की जाये तो यह लुच्चेपन से ज्यादा अपराध है। आशा है मुंहजोरी के लिये माफ़ कर देंगे।
सादर प्रणाम्