सवाई सिंह शेखावत
शनिवार, 19 सितंबर 2009
नमक
ज़िन्दगी और चीज़ों के बीच
दिन-ब-दिन मँहगे होते व्यापार में
आज भी नमक सस्ता है
इसीलिए बचाया जा सकता है
मालिक की हलाली के बाद भी
अपने-अपने हिस्से का नमक
आत्मा के समूचे नमकीन स्वाद के लिए
2 टिप्पणियां:
हेमन्त कुमार
19 सितंबर 2009 को 8:02 pm बजे
बहुत मारक है आपकी रचना । आभार ।
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Gyan Darpan
19 सितंबर 2009 को 9:30 pm बजे
बहुत खूब !
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बहुत मारक है आपकी रचना । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
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